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Wednesday, September 9, 2015


न लुटें 


ये कैसी है आस्था,  खुद लुटने की चाह !! 
कौन सम्हाले इनको,  कौन बताये राह !!
कौन बताये राह,  अशिक्षा बनी है कारण , ,, 
चाह न छूटे चाह ,   है चकाचौंध लुभावन !
जानता  खोयेगा,    मूरख क्यों फ़ँसता ये ?
पार ना  पायेगा,        आस्था है कैसी  ये ?,,,.... तनुजा ''तनु ''

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