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Tuesday, May 10, 2016



सुखन तेरी जुबान के चुने मैंने ;
चुप रहूँ ?  कुछ कहूँ?? ईमान में क्या ??"

मैं किसी के कहाँ मुक़ाबिल हूँ ; 
काबिल सभी हुए जहान में क्या ?? 

देखना परखना नज़रों से ही ;
झूठ ही कहती,  मीज़ान में क्या ??

खामुशी सी भरी फ़ज़ाओं में ;
सो गए तारे आसमान में क्या ??

तौल कर बोलना टूटे हैं दिल ;
पा लिया खोकर गुमान में क्या ??


 देखा जाना करीब से तुझको ;
 ढूंढती तुझको एलान में क्या ??.... तनुजा ''तनु ''


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