सुखन तेरी जुबान के चुने मैंने ;
चुप रहूँ ? कुछ कहूँ?? ईमान में क्या ??"
मैं किसी के कहाँ मुक़ाबिल हूँ ;
काबिल सभी हुए जहान में क्या ??
देखना परखना नज़रों से ही ;
झूठ ही कहती, मीज़ान में क्या ??
खामुशी सी भरी फ़ज़ाओं में ;
सो गए तारे आसमान में क्या ??
तौल कर बोलना टूटे हैं दिल ;
पा लिया खोकर गुमान में क्या ??
देखा जाना करीब से तुझको ;
ढूंढती तुझको एलान में क्या ??.... तनुजा ''तनु ''
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