निंदक
करें यारी निंदक से, निंदक ही से मोह !
चलो बिगड़ी सुधार लें , धन्य संत जग सोह !!
निंदक कड़वे वचन से ,मन पर करते घाव !
धीरे - धीरे सूखते , मन के गहरे घाव !!
निंदक राजा सत्य का , सीधे करता चोट !
चुपड़ी बातें झूठ की , असमंजस की ओट !!
निंदक से मिष्टी झरे , निंदक ही में राम !
निंदक खोट दूर करे , निंदक रखिये गाम !!
निंदक जैसा धन नहीं , जो कोई जाने मोल !
हीरा मिलता मोल दे , निंदक मोल न तोल !!
निंदक के तरकश धरे , विष बुझते से तीर !
कान के परदे खोलते, चुभते सकल शरीर !!
चुपड़ी बात मक्खन सी, करे हमें बीमार !
निंदक कड़वा घोल है , मीठा है वो यार !!
निंदक प्रीत लगाय के , करना मत तू मोल !
करनी आप सुधार ले, मीठा मीठा बोल !!
निंदक चिमटा कर्म का , अब लो खूब बजाय !
धोया निखरा धर्म का , रूप सँवारा जाय !!....तनुजा ''तनु ''
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