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Kaavya
Monday, May 2, 2016
दिन के सारे कर्मों का लेखा जोखा ले शाम ढली ,
सुखद क्षणों के मधुरिम स्वप्नों को सजा
अभिराम
पली
भव बंध से मुक्त हुआ मन उड़ चला नीले आकाश में ,
यामिनी महकी रजनीगंधा सी
संग ले
आराम
चली !
तनुजा ''तनु ''
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