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Thursday, May 19, 2016




धरा तरसे तन तरसे, तरसे जीव अपार !
मन तरसे नयन तरसे ,  तरसे ये संसार !!
तरसे ये संसार , मेघा ! दिखते सुघर हो, ,,,,
बूंदों को बचाके, तुम ले जाते किधर हो ??
लूँ मेघा मैं पाश  !! लो जल बरसा दो ज़रा,
कभी न हो संत्रास, .. प्यासी ना तरसे धरा !!..तनुजा ''तनु ''




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