खार खो जिंदगी अलूनी हो गयी !
धरती की दुनिया अब सूनी हो गयी !
और कितने दूर तुम उड़ते रहोगे ;
बादलों की जहां में, .. कमी हो गयी
देखो धरा पर तिड़कन हज़ार हैं ;
गरीबी भुखमरी अब दूनी हो गयी !
आग अंगार बरसाता है सूरज ;
बरसने की नीयत अब खूनी हो गयी !
तरक्की से क्या पा लिया हमने आज ;
कैसी सुब्ह की अब रोशनी हो गयी !
काश के बाँध तुम्हे डोरी से प्रीत की ;
मांग भर देता जमीं की सूनी हो गयी !
बंधन दिलों के कब के हैं टूटे ;
बात संस्कार की अब जूनी हो गयी !!..... तनुजा ''तनु ''
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