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Tuesday, May 31, 2016

सावन 

आया सावन हरखो जी भर ;
हरीतिम धरा  निरखो जी भर !!

 बहके  ताल अंगड़ाई  ले ;
गहरे कितने  परखो जी भर !!

सागर नदिया क्यों इठलाये ?
कितना लहरा तरको जी भर , ,,

पपीहा कर पिऊ पिऊ शोर ;
प्यार की प्यास बरसो जी भर !!

लहकी  डाली झूमें बदरा ;
बोल के राम दरसो जी भर !!

कोयल कूके पवन मदभरी ; 
पी के बिरही तरपो जी भर !!

चढ़ा रंग है गहरा चोखा ;
''तनु ''भर प्याली परसो जी भर !!....तनुजा ''तनु ''

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