सावन
आया सावन हरखो जी भर ;
हरीतिम धरा निरखो जी भर !!
बहके ताल अंगड़ाई ले ;
गहरे कितने परखो जी भर !!
सागर नदिया क्यों इठलाये ?
कितना लहरा तरको जी भर , ,,
पपीहा कर पिऊ पिऊ शोर ;
प्यार की प्यास बरसो जी भर !!
लहकी डाली झूमें बदरा ;
बोल के राम दरसो जी भर !!
कोयल कूके पवन मदभरी ;
पी के बिरही तरपो जी भर !!
चढ़ा रंग है गहरा चोखा ;
''तनु ''भर प्याली परसो जी भर !!....तनुजा ''तनु ''
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