ये चाँद भी न ,....
परदा झीना मान का, पाया रंग उधार !
पल में उतर जाएगा, मुहब्बत का बुखार !!
लेकर खुशियाँ चाह की, दरदर भटकी रात !
चाँद एक जलता दिया, पर क्यों रूठा रात !!
ये है अभिनय चाँद का, रवि जैसा प्रभास !
जगा कर सो जायेगा , पौ फटने की आस !!
दिल लेकर चाँद भटका, बीती जाती रैन !
अमा पूनम में अटका, कहीं न पाया चैन!!
एक गुलाबी रात का , ये रहा मेहमान ?
झूठा निकला बात का , जानता है जहान !!....तनुजा ''तनु ''