Labels

Saturday, September 3, 2016



माँ



दूत की जब बात चले तब ''रामदूत'' की बात ही क्या ;

बालक सम बन के रहे उस अवधूत की बात ही क्या !


प्यार सब पर लुटाती   बहन, पत्नी, बेटी  बनकर वो , ,,, 

जननी  की जब बात चले ''माँ '' रूप की बात ही क्या !!... ''तनु ''


दूत की जब बात चले तब राम दूत की बात ही क्या ;

बालक सम बन के रहे उस अवधूत की बात ही क्या !

निराहार रहे कंठ सूख रहे निद्रा सुख भी त्याग दिया , 

जननी पालनहार है वो माँ सम रूप की बात ही क्या !!..''तनु ''
                     

No comments:

Post a Comment