माँ
दूत की जब बात चले तब ''रामदूत'' की बात ही क्या ;
बालक सम बन के रहे उस अवधूत की बात ही क्या !
प्यार सब पर लुटाती बहन, पत्नी, बेटी बनकर वो , ,,,
जननी की जब बात चले ''माँ '' रूप की बात ही क्या !!... ''तनु ''
दूत की जब बात चले तब राम दूत की बात ही क्या ;
बालक सम बन के रहे उस अवधूत की बात ही क्या !
निराहार रहे कंठ सूख रहे निद्रा सुख भी त्याग दिया ,
जननी पालनहार है वो माँ सम रूप की बात ही क्या !!..''तनु ''
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