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Kaavya
Thursday, September 1, 2016
बचपन बीतता खुशियों , खेले कैसे खेल !
कागज़ से जहाज़ बने, मुँह से छुक-छुक रेल !!
मुँह से छुक-छुक रेल !! फुलवारी ऐसी सजी
झूला डोले डाल , झूले में गुड़िया सजी
पेड़ लगाओ सब भूल, तुम सँवारो पचपन,
कोमल कोंपल फूल, हँसाता हँसता
बचपन !!... तनुजा ''तनु ''
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