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Wednesday, September 7, 2016





ये चाँद भी न ,....

परदा झीना मान का, पाया रंग उधार !
पल में उतर जाएगा, मुहब्बत का बुखार !!

लेकर खुशियाँ चाह की, दरदर भटकी रात !
चाँद एक जलता दिया,  पर क्यों रूठा रात !!

ये है अभिनय चाँद का,  रवि जैसा प्रभास !
जगा कर सो जायेगा , पौ फटने की आ !!

 दिल लेकर चाँद भटका,     बीती जाती रैन !
 अमा पूनम में अटका,     कहीं न पाया चैन!!

एक गुलाबी रात का ,       ये रहा मेहमान ?
झूठा निकला बात का ,  जानता है जहान !!....तनुजा ''तनु ''





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