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Kaavya
Saturday, September 3, 2016
कहाँ चल पड़ी ये जिंदगी, अहसास दर्द के घट गए ;
कहाँ खो गयी है बंदगी, शूल दामन से लिपट गए , ,,
इक था फरिश्ता चाँद सा कौन अब राह दिखाएगा ?
खुद की सलीब हम ढो रहे, कैसे ये पासे पलट गए ??...''तनु ''
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