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Monday, September 26, 2016


गुलाब


आप जिसको गुलाब कहते हैं ;
आब का जमीं को जवाब कहते हैं !

आँच सा तपता है ज़रा देखो ;

दीया, ..  कभी आफताब कहते हैं !

ओस से नहाया है अल सुब्ह ही ;

हम इसे नज़ारों की शराब कहते हैं !

डूबकर नज़र की गहराई में ;  

कल खिला कल का खाब कहते है !

चूम नज़रों से इस नियामत को ;

 गीत,  गजल, की किताब कहते हैं !....तनुजा  ''तनु ''

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