गुलाब
आप जिसको गुलाब कहते हैं ;
आब का जमीं को जवाब कहते हैं !
आँच सा तपता है ज़रा देखो ;
दीया, .. कभी आफताब कहते हैं !
ओस से नहाया है अल सुब्ह ही ;
हम इसे नज़ारों की शराब कहते हैं !
डूबकर नज़र की गहराई में ;
कल खिला कल का खाब कहते है !
चूम नज़रों से इस नियामत को ;
गीत, गजल, की किताब कहते हैं !....तनुजा ''तनु ''
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