मसीहा
वो एक कद और जिस्म में नहीं रहता ;
वो एक हद और किस्म में नहीं रहता !
दिल मसीहा जेहन पाक़ीज़ा है उसका , ,,
वो इक ज़िद औ तिलिस्म में नहीं रहता !!
वो एक कद और जिस्म में नहीं रहता ;
वो एक हद और किस्म में नहीं रहता !
दिल मसीहा जेहन पाक़ीज़ा है उसका , ,,
वो इक ज़िद औ तिलिस्म में नहीं रहता !!
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