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Monday, December 7, 2015

माँ और बेटा 


भूख और गरीबी के,  नज़ारे कहाँ से आए हैं ;
तलब थी नहीं इनकी, अश्क ये कहाँ से आये है !

सर -ए -नियाज़ इस जहां का कहाँ तेरे मुक़ाबिल ;
कह माँ !!! अपने हक़ में ये आबले कहाँ से आये हैं !

खलिश बहुत है दर्द और तड़फ भी है अभी बाकी ;
ये चुभते खार और दर्द - ए -निहाँ कहाँ से आये है !

अपनी मंज़िल है कहाँ और सितारे होते कहाँ हैं ;
ये छिपी आरज़ू और वो ग़ुम फरेब कहाँ से आये हैं !

आशियाँ गुलसिताँ और शीरे ये सब ख्वाब की बातें ;
उन्स कफ़स का और खिजाँ नसीब ये कहाँ से आये हैं !

हद्द- ए - गुमाँ देखते हैं सपनों की दुनिया की ;
''तनु'' दिल और नज़र के तकाजे कहाँ से आये हैं !तनुजा ''तनु ''

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