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Monday, December 7, 2015

भूख और गरीबी के,  नज़ारे कहाँ से आए हैं ;
तलब थी नहीं इनकी, अश्क ये कहाँ से आये है !
सर -ए -नियाज़ इस जहां का कहाँ तेरे मुक़ाबिल 
कह माँ !!! अपने हक़ में ये आबले कहाँ से आये हैं ... तनुजा ''तनु ''

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