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Friday, December 18, 2015


चाहत का  सितारा है ''बद्र''


ये मेरी चाहत नहीं सितारा है ''बद्र'' को , ,,
अब तो इश्क ज़ाहिर सबां, गुमाँ है ''अत्र'' को !!......

सीने में वो दर्द का कोहराम मचाकर, ,,
प्यार खो ईमान लुटाकर ढूँढे है कद्र को !!....


दर्द -विरासत पाकर मैं काम चला लूँगा , ,,
लग गया जो रोग बड़ा जिद्दी है उम्र को !! ..

मानिए मैं अपने शोर-ओ-शर से भागता नहीं,,,
ग़म के कुछ कशीदे पढ़ूँ साथ लिए फ़ख़्र को !!

क्यों लौट लौट आते हैं लोग ''और'' जिस्म में , ,,
''तनु ''ख्वाहिशें कई बाकी मेरे जी बेसब्र को !!.... तनुजा ''तनु''

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