क्या करूँ !!
वादियों से गुम वो हुई क्या करूँ ;
रूठ कलियों से वो' गयी क्या करूँ !
दस्त -ए - कातिल बावफ़ा हूनरमंद ;
रंग तितली के चुराए क्या करूँ !
आँख से बूँद गिरना लाजमी है ;
बाग़ सारे शहर के जले' क्या करूँ !
कौन जाना कब तलक मीठी सुबह ;
बे मज़ा इश्क, ,, हुस्न' तन्हा क्या करूँ !
जो कभी बदले नहीं वो किस्मत' है ;
उठ कर चलूँ ? किधर जाऊँ ? क्या करूँ !!
''तनु'' इस बुलंदी पर कहाँ थे हम कभी ;
सीढ़ियाँ बिन पायदानों , ,,क्या करूँ !!
वादियों से गुम वो हुई क्या करूँ ;
रूठ कलियों से वो' गयी क्या करूँ !
दस्त -ए - कातिल बावफ़ा हूनरमंद ;
रंग तितली के चुराए क्या करूँ !
आँख से बूँद गिरना लाजमी है ;
बाग़ सारे शहर के जले' क्या करूँ !
कौन जाना कब तलक मीठी सुबह ;
बे मज़ा इश्क, ,, हुस्न' तन्हा क्या करूँ !
जो कभी बदले नहीं वो किस्मत' है ;
उठ कर चलूँ ? किधर जाऊँ ? क्या करूँ !!
''तनु'' इस बुलंदी पर कहाँ थे हम कभी ;
सीढ़ियाँ बिन पायदानों , ,,क्या करूँ !!
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