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Thursday, December 3, 2015

क्या करूँ  !!

वादियों से गुम वो हुई क्या करूँ ;
रूठ कलियों से वो' गयी क्या करूँ !

दस्त -ए - कातिल बावफ़ा हूनरमंद ;
रंग तितली के चुराए क्या करूँ !

आँख से बूँद गिरना लाजमी है ;
बाग़ सारे शहर के जले' क्या करूँ !

कौन जाना कब तलक मीठी सुबह ;
बे मज़ा इश्क, ,,  हुस्न' तन्हा क्या करूँ ! 

जो कभी बदले नहीं वो किस्मत' है ;
उठ कर चलूँ ?  किधर जाऊँ ? क्या करूँ !!

''तनु'' इस बुलंदी पर कहाँ थे हम कभी ;
सीढ़ियाँ बिन पायदानों , ,,क्या करूँ !!

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