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Saturday, December 19, 2015

आ पहुंची है शीत शर्बरी घट गया है ताप ;
लेकर नींद सलाइयाँ चलें ख्वाब बुन लें आप !
दिन छोटे रात बड़ी तकिया बिछौना प्यारे, ,,
गलबहियां नींद से जो हुई भूल गए संताप !!.. 

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