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Monday, December 21, 2015

गलबहियां नींद से जो हुई भूल गए संताप !. 
आ पहुंची है शीत शर्बरी घट गया है ताप ;
दिन छोटे रात बड़ी तकिया बिछौना प्यारे, ,,
लेकर नींद सलाइयाँ चलें ख्वाब बुन लें आप !!,,,...तनुजा ''तनु ''

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