जिंदगी यही है , ,,
टूट कर ग़म ही मिला करते हैं ;
खूब तब हम भी गिला करते हैं !!
सामने तख्लीक़ पे दाद देने वाले ;
जाने ऐब की परतें छीला करते हैं !!
चाँदनी चाँद की ओ चाँदी के बाल ;
वक्त आने पर ही मिला करते है !!
चमन में हो गयी है गुलों की कमी ;
इख़्लास जाहिर तो खिला करते है !!
गम ओ ख़ुशी का हिसाब रखे जो ;
अल्लाह से कहाँ सिला करते हैं !!
आ थोड़ी देर बैठ कुछ दर्द तो थाम ;
कुछ पल अपनों को मिला करते हैं !!
अज्जियत जागने की जिंदगी भर ;
''तनु''सबको तो नहीं मिला करते हैं !!
तख्लीक़ = सृजन, अज्जियत = मुसीबत, इख़्लास = गहरा लगाव
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