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Saturday, December 5, 2015


जिंदगी यही है , ,,

टूट कर ग़म ही मिला करते हैं ;
खूब तब हम भी गिला करते हैं !!

सामने तख्लीक़ पे दाद देने वाले ;
जाने ऐब की परतें छीला करते हैं !!

चाँदनी चाँद की ओ चाँदी के बाल ;
वक्त आने पर ही मिला करते है !!

चमन में हो गयी है गुलों की कमी ;
इख़्लास जाहिर तो खिला करते है !!

गम ओ ख़ुशी का हिसाब रखे जो ;
अल्लाह से कहाँ सिला करते हैं !!

आ थोड़ी देर बैठ कुछ दर्द तो थाम ;
कुछ पल अपनों को मिला करते हैं !!

अज्जियत जागने की जिंदगी भर ;
''तनु''सबको तो नहीं मिला करते हैं !!

तख्लीक़ = सृजन,   अज्जियत  = मुसीबत,  इख़्लास = गहरा लगाव 


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