Labels

Friday, February 19, 2016

रूह 

अजनबी ख्वाहिशें सीने में,    रूह की तरह कायम ; 
जिरह में टूट कर बिखरी, मजरूह की तरह कायम !
ग़मदीदा अपनी शिकस्तों से इस तरह बगलगीर ,
यूँ कब्र में हम - आगोश हैं,    रूह की तरह कायम !!

ग़मदीदा = दु:खित, व्यथित

No comments:

Post a Comment