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Monday, February 29, 2016



झील, पानी, नाव इशारा क्या करे ;
तू नहीं अब दिल बिचारा क्या करे ! 
ढल गयी शाम फ़क्त साया साथ है 
बिन तुम्हारे  ये नज़ारा क्या करे !!   ''तनु ''



झील, पानी, नाव इशारा क्या करे ;


तू नहीं अब दिल बिचारा क्या करे !!


ढल गयी शाम  परछाई साथ है ; 

बिन तुम्हारे ये नज़ारा क्या करे !!


मैं भँवर में डूबता हूँ ऐ सनम ;

टूटा दिल छूटा सहारा क्या करे !!


घुंघरू पाज़ेब के खनके कहीं ;

 गीत में ग़म साज़ यारा क्या करे !!


रोज़ यादों में फ़साने को लिक्खूँ ;

रोशनाई बेरंग,  कारा क्या करे !!


उठ गयी 'तनु' भीत ऊँची बैर की ; 

 ये झरोखा ये ओसारा क्या करे !!.... ''तनु''

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