Labels

Wednesday, February 10, 2016

वसंत आया 


तन तृण तरंगित है ;
घूँघट कली ने सरकाया !
अधरों पर अंगुली धरे , ,,
चुपके से वसंत आया !!

प्रीत की क्यारी में ;
फिर सुमन हरषाया !
खुली वसंत की बारी , ,,
सौरभ भरमाया !! .... अधरों पर

चिठिया से प्रीत नहीं ;
प्रीतम ही आया !
खिलखिलाई सखियाँ , ,,
लो ऋतुराज आया!! .... अधरों पर

सजीले,  सजे से द्रुम ;
नव कोपलों में गुम !
कलियों का  लेकर , ,,
यूँ  सरताज आया !! ....  अधरों पर

सजीली गोरियाँ ;
मुस्काती टोलियाँ !
फाग गीतों ने।, ,, 
हर गाँव सजाया !! ... अधरों पर


मदभरी महुआ मटकी से ;
पीकर वारुणी वन में !
थाली मांदल की थाप पर , ,,
झूम झूम नचाया !! ... अधरों पर

धरती का नवयौवन ; 
निहारे रवि साजन !
 पुहुप टेसू खिलकर , ,,
कैसा इतराया !!.... अधरों पर

पीली सी पाग धरे ;
वसंत की टेर टरे !
हाथ सरसों से पीले कर, ,, 
मधुमास लड़खड़ाया !! .... अधरों पर

वसंत का आना गुन ;
 ज्योँ मधुप बौराया !
ऋतुपति के प्यार में , ,,
अंग अंग गदराया !! ..... अधरों पर.... तनुजा ''तनु ''

No comments:

Post a Comment