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Wednesday, February 17, 2016


अभी तो , ,,


कई काम बाकी जमीं आसमां के ;
नज़म है नयी सी बिना तर्जुमां  के !!

रुआं भी जिसम का कर्ज में ही डूबा ;
बनी जान पर साँस कहाँ नातवाँ के !!

फ़ुग़ाँ में उम्र की है जद्दोजहद सी ;
सुनेगे सदा सुनने वाले जहाँ के !!

खराब करता ही गया मैं दिनों को ;
कुछ हसीं से सूद हैं अपने जियां के !!

दिख रहा उसे, मैं निगाहों में उसकी ; 
नहीं वो कभी भी वहम में गुमां के !!

नज़र आ रही रोशनी दीप की अब ;
फिरे भाग फिर से उस सूने मकां के !!..... तनुजा ''तनु ''





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