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Tuesday, February 9, 2016



चोटिल घायल तन मेरा है ;
धीमी साँस उच्छ्वास का कैदी !

करूँ भरोसा कहाँ और कैसे ?
मुझे मलाल मैं आस का कैदी !!

देखूँ भरकर नज़रें अपलक;
दम -ब -दम एहसास का कैदी !

अब दाम कहाँ ज़हर खाने को ;
डूब गया हूँ प्यास का कैदी !!

गिरे सितारे आसमान के ;
कहाँ चाँद उजास का कैदी !!

हमेशा ही रहा  बे- बहर सा ;
कीड़ा तम और घास का कैदी !!.... तनुजा ''तनु ''

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