मेरे इस परिवार में, हाथी घोड़े बैल ; पगड़ी है सरदारजी,अच्छी रेलम पेल ,, अच्छी रेलम पेल , खड़ा मैं लिए तूलिका ! ऊँचे पूरे वृक्ष , और छोटी सी कलिका ! खुशियों का संसार, खिल खिल हँसते सवेरे, सारे हैं दमदार , इस परिवार में मेरे। .. ''तनु ''
यूँ बहारों में खिली कली हम हैं; रेत में आ कर मिली नमी हम हैं ! दे जाते तुम्ही तो कितने रंग नये ; वो तुम्हारी जान महजबी हम हैं ! माँगते हो खुद ही रुख़सत हमसे ; वो खुदा का बन्दा वो नबी हम हैं ! सिर्फ मैं औ तुम ही तो हैं हर सूं ; आसमा है समाया वो जमीं हम हैं ! चूम कर जो रौशन हुआ हमीं से ; चाँद निखरा हम से वो जबीं हम हैं !... ''तनु''
मुझे कहाँ आराम , पवन संग उड़ती मैं तो !!,... ''तनु''
Thursday, March 29, 2018
तू निगहबाँ शान लिए बैठा हूँ ; तुझसे राब्ता आन लिए बैठा हूँ ! वक्त सदा ही रहा इम्तहानों का ; हर माहौल में अज़ान लिए बैठा हूँ ! दीन की जानिब रुख कीजिये ;
कैसे कैसे अरमान लिए बैठा हूँ ! एहसास तकानों के सलामत रहें ; तड़पा हूँ अहज़ान लिए बैठा हूँ ! साज़ में पर्दे की खनक बाकी है ; मैं साँसों का गान लिए बैठा हूँ ! ख़्वाब की ताबीर में गुम हुआ ; झोलियों ईमान लिएबैठाहूँ !.. ''तनु''
नेट से जब इश्क हुआ , बीत गयी कब रात ; हुआ सवेरा देर से , कहाँ सुबह की वॉक! कहाँ सुबह की वॉक ? सुबह कब संध्या होती ; पिज़ा बर्गर खाए ------ नसीब न रोटी होती, ,,,,, मोटा चश्मा फिगर गुम यूँ उड़ते जेट से; टंकित होती बात इश्क हुआ जब नेट से !!.... तनुजा ''तनु ''
इश्क हुआ जब नेट से, बीत गयी कब रात ; हुआ सवेरा देर से , कहाँ सुबह की वॉक! कहाँ सुबह की वॉक ? सुबह कब संध्या होती ; पिज़ा बर्गर खाए ------ नसीब न रोटी होती, ,,,,, मोटा चश्मा फिगर गुम करते जिस पर रश्क़ ,... टंकित होती बात हुआ जब नेट से इश्क !!.... तनुजा ''तनु ''
Monday, March 26, 2018
ख़ाबये सारे सुहाने रखे यहीं ;
जिंदगी के ये खज़ाने रखे यहीं !
दौर-ए-उम्र को जी लिया मैंने
जज़्बातों के ख़त पुराने रखे यहीं
बे ख़ता सर को झुकाया ना कभी,
साँच के मीठे तराने रखे यहीं !! बाशिंदों से प्यार मुहब्बत बहुत की, मौत के जीते बहाने रखे यहीं !!
'तनु' है अब नहीं मुझे कुछ ढूँढना ,
ख्वाब-ओ-ख्याल के ज़माने रखे यहीं !!,,,''तनु''
है गुनाह कोई नाकाम सी चीज़ ; मलूँ तो मैल सा छूटे है तन से ! अगरचे धुँए सा बिखरा हुआ हूँ, ,, साँस भी खुटे ना खुटे है तन से !! ... ''तनु''
ढोल कहे तुम भी वही , पात तीन हैं गात !! पंछी की परवाज़ है , आफताब की ओर ! मानो छूना चाहता , आसमान का छोर !! हाथ पकड़ कर राह में, चला हर कदम संग ! मन उसका था बावरा , उड़ गया ज्यों पतंग !!
पात पवन उड़ाय रही , सारे बंधन तोड़ ! कितने घात शाख सहे , टूटा रे गठजोड़ !!
हाथ पकड़ कर राह में, चला हर कदम संग ! मन उसका था बावरा , जैसे उडे पतंग !! परिपूरित हो आस से , हो पतझड़ का अंत ! कोमल कोंपल को लिये, स्वागत करो बसंत !!
सलीक़ा मुझे ही नहीं , परखूँ क्या व्यवहार ! कितने परदों चेहरा , मरीचिका है थार !! वंशधरों के सामने, समझ करो व्यवहार !
सीख ही लेते देखते, जैसे हों आचार !! सपने में भी घाव थे , दुखों का ही दुलार ! अपनी सूली सेज सी , काँटों से है प्यार !! सपने में भी घाव थे , दुखों का ही दुलार ! अपनी सूली सेज सी , काँटों के हैं हार !!... ''तनु''
टूट करके मिलती है जब भी मिलती है! बात करता मैं रहा अपनी परछाई की!! खोल कर सारे वो दरवाजे चली आती! ज़ेहन तुझसे किसी सूरत नहीं रिहाई की!! ओढ़ कर सोया किया मैं दररोज़ उसे! ज़िंदगी भर ही, इसी की तो कमाई की!! उसका हर बोसा ''तनु''रूहानी होता है ! डरता रहता बात करता नहीं जुदाई की!!,,, ''तनु''
बदरिया ने फागुन में, ऐसा किया धमाल , सर्द तीखी सी बरसी, बुरे हो गये हाल ! बुरे हो गये हाल, तोड़ सभी करार रही ! भूल गयी व्यवहार, मदिर कभी बयार रही !! चढ़ते कैसे ताप, ओढ़ वायरल चदरिया , ,, जगत करे संताप, बरसे फागुन बदरिया !!...''तनु''