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Thursday, March 29, 2018


तू  निगहबाँ शान  लिए बैठा हूँ ;
तुझसे राब्ता आन लिए बैठा हूँ !

वक्त सदा ही रहा इम्तहानों का ;
हर माहौल में अज़ान लिए बैठा हूँ !

दीन की जानिब रुख कीजिये  ;
कैसे कैसे अरमान लिए बैठा हूँ !

एहसास तकानों के सलामत रहें ;
तड़पा हूँ  अहज़ान लिए बैठा हूँ !

साज़ में पर्दे की खनक बाकी है ;
मैं साँसों का गान लिए बैठा हूँ !

ख़्वाब की ताबीर में गुम हुआ  ;
झोलियों  ईमान लिए बैठा हूँ !.. ''तनु''








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