बरसों से दुनिया वही, ये जग कहाँ नवीन !
कभी सुमन की सेज पर, कभी सोय संगीन !!
पोला भीतर ढोल के, कहे ढाक के पात !
पोला भीतर ढोल के, कहे ढाक के पात !
तुम वहीं के रहे वहीं, पात तीन हैं गात !!
मन उपवन में आज तो, नाच रहे हैं मोर !
मन उपवन में आज तो, नाच रहे हैं मोर !
अनगिन कलियाँ खिल गयी ,महकी महकी भोर !! ... ''तनु''
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