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Saturday, March 31, 2018

यूँ बहारों में खिली कली हम हैं;

यूँ  बहारों में खिली कली हम हैं;
रेत में आ कर मिली नमी हम हैं !

दे जाते तुम्ही तो कितने रंग नये ;
वो तुम्हारी जान महजबी हम हैं !

माँगते हो खुद ही रुख़सत हमसे ;
वो खुदा का बन्दा वो नबी हम हैं !

सिर्फ मैं औ तुम ही तो हैं हर सूं ;
आसमा है समाया वो जमीं हम हैं !

चूम कर जो रौशन हुआ हमीं से ;
चाँद निखरा हम से वो जबीं हम हैं !... ''तनु''

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