यूँ बहारों में खिली कली हम हैं;
रेत में आ कर मिली नमी हम हैं !
दे जाते तुम्ही तो कितने रंग नये ;
वो तुम्हारी जान महजबी हम हैं !
माँगते हो खुद ही रुख़सत हमसे ;
वो खुदा का बन्दा वो नबी हम हैं !
सिर्फ मैं औ तुम ही तो हैं हर सूं ;
आसमा है समाया वो जमीं हम हैं !
चूम कर जो रौशन हुआ हमीं से ;
चाँद निखरा हम से वो जबीं हम हैं !... ''तनु''
रेत में आ कर मिली नमी हम हैं !
दे जाते तुम्ही तो कितने रंग नये ;
वो तुम्हारी जान महजबी हम हैं !
माँगते हो खुद ही रुख़सत हमसे ;
वो खुदा का बन्दा वो नबी हम हैं !
सिर्फ मैं औ तुम ही तो हैं हर सूं ;
आसमा है समाया वो जमीं हम हैं !
चूम कर जो रौशन हुआ हमीं से ;
चाँद निखरा हम से वो जबीं हम हैं !... ''तनु''
No comments:
Post a Comment