मैं तो झरती रेत हूँ , बहती जाती धार ;
जब रहती हूँ थार में, चढ़ी टीलों बयार !
चढ़ी टीलों बयार , धरा में सुप्त सरसती ;
जलाती गरम झार,जब धरा आग उगलती !
करूँ थोड़ा विश्राम, खनन कुछ रुक जाए तो !
मुझे कहाँ आराम , पवन संग उड़ती मैं तो !!,... ''तनु''
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