श्रृंगार अम्बर धरनि का, देखो कैसे निखर रहे,
खुली वाटिका भावों की, शब्द कुसुम से बिखर रहे!
गीतों की खुशबू फैली , मन मचल उठा गाने को, ,,
लेखनी ने अंगड़ाई ली सभी भाव सँवर रहे!!
------"तनु"
खुली वाटिका भावों की, शब्द कुसुम से बिखर रहे!
गीतों की खुशबू फैली , मन मचल उठा गाने को, ,,
लेखनी ने अंगड़ाई ली सभी भाव सँवर रहे!!
------"तनु"
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