तमस गयी किरण चली,
दिनेश अति रहे बली!
चला रहे सकल विश्व, ,,
सभी अला बला टली!!
मदिर मदिर हवा बहे,
खिली खिली कली कहे!
सत्य कभी छुपे नहीं, ,,
कथा यही सुना रहे!!
जगो उठो सुधीर हे,
गगन अभी अधीर है!
धरा मगन गगन मगन, ,,
वही सुमन खिला रहे!!
बनी वसुन्धरा जवाँ,
चला स्वयं सु कारवाँ!
गगन जमीन हमनवाँ, ,,
नयन सदा मचल रहे!!
लबों कही कथा सुनो,
सुनो सही दिशा चुनो!
लगे भली सही नहीं, ,,
सदा गलत नहीं गुनो!!
-----"तनु"
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