फूल कब तक अश्क़ ढोते शबनम के!
एक किरण ने अश्क़ पोंछे अब ग़म के!!
जब तलक वो साथ बात ग़म की न कर!
लौट आये दिन अपने चैन ओ अमन के!!
राह में इस ज़िंदगी को कुछ दे के चल!
संग चले कितने क़दम तेरे क़दम के!!
ख़त्म हो नामोनिशां सौदागरों के मौत के!
है ज़मी जन्नत, नहीं नाम ओ अदम के!!
कितनी भी बीमार दिल की बस्तियाँ !
आह बिछड़ ही जाती है संग सनम के!! --"तनु"
एक किरण ने अश्क़ पोंछे अब ग़म के!!
जब तलक वो साथ बात ग़म की न कर!
लौट आये दिन अपने चैन ओ अमन के!!
राह में इस ज़िंदगी को कुछ दे के चल!
संग चले कितने क़दम तेरे क़दम के!!
ख़त्म हो नामोनिशां सौदागरों के मौत के!
है ज़मी जन्नत, नहीं नाम ओ अदम के!!
कितनी भी बीमार दिल की बस्तियाँ !
आह बिछड़ ही जाती है संग सनम के!! --"तनु"
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