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Sunday, February 24, 2019

फूल कब तक अश्क़ ढोते शबनम के!
एक किरण ने अश्क़ पोंछे अब ग़म के!!

जब तलक वो साथ बात ग़म की न कर!
लौट आये दिन अपने चैन ओ अमन के!!

राह में इस ज़िंदगी को कुछ दे के चल!
 संग चले कितने क़दम तेरे क़दम के!!

ख़त्म हो नामोनिशां सौदागरों के मौत के!
है ज़मी जन्नत, नहीं नाम ओ अदम के!!

कितनी भी बीमार दिल की बस्तियाँ !
आह बिछड़ ही जाती है संग सनम के!! --"तनु"

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