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Tuesday, February 26, 2019

माँ



रहमत खुदा की 
तुम हो माँ 
तुमने ही तो कहा है 
जहाँ रहो खुश रहो 
फिर क्यों माँ 
तुम उदास 

तुम्हारी उदासी 
अच्छी नहीं लगती
तुम्हारी मुस्कान
हो सदाबहार 

तुम्हारे आँसू
कभी न बरसे आँखों से
तुम्हारी हँसी
घर का सूरज 
तुम्हारी बिंदी
चाँद सी
तुम्हारी खिलखिलाहट
सृष्टि जगाये 
होता गुंजार 

गोद तुम्हारी 

सबसे न्यारी 
मीठी नींद
 मैं बलिहारी 
सिवा इसके न करूँ 
कोई कामना 

तुम्हारी चलकदमी 

दुआ मेरी
तुम्हारी अभिव्यक्ति
किलकारियाँ मेरी 
तुम्हारा स्पर्श
मेरा संसार 

तुम्हारी सहमति
मेरा आसमान
तुम्हारा प्रतिरोध
मेरे लिए सीख

मेरे गुनाह 
धो देने वाली
बहुत गुस्से में
रो देने वाली
कहीं भी जाऊँ मैं
मेरी देहरी का दीया
रहता उजियार
----- 'तनु'


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