मैं चला ही नहीं अभी मोड़ आ रहे नज़र सामने!
रात थक कर न सो अभी लम्बा है सफ़र सामने!!
साहिलों को मुड़ के यूँ दरिया भला देखेगी क्या!
मंज़िल है तेरी जुस्तजू चलो है सफ़र सामने!!
जो चलते ही राह इतनी तुम बदलते रहोगे!
ये जिंदगी छोटी बहुत ही बड़ा है सफ़र सामने!!
क्यों सन्नाटे से डर लगता ऐ जिंदगी तू बता!
मौत भी है इक मसाफ़त शुरू है सफ़र सामने!!
लौटता कैसे अभी मंज़िल बहुत दूर पर है!
लौट आ ही जाऊँगा ये वो नहीं है सफ़र सामने!!
"तनु"उठाना राह-ए-शौक लुत्फ़ मिला सरे राह तुझे!
तू मुसाफ़िर नहीं शब का उम्र का है सफ़र सामने!!
---"तनु"
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