''शब्द शक्ति ''
काव्य शास्त्र में शब्द शक्ति उसे कहते हैं जो शब्द के उच्चारण के साथ - साथ उसके अर्थ को भी बताये … शब्द शक्ति के तीन भेद हैं ----
अभिधा
लक्षणा
व्यंजना
सामान्यतः जब हम किसी शब्द का प्रयोग करते हैं तो वह शब्द उसकी भाषा लोक प्रचलन में उसकी प्रसिद्धि और उस भाषा के कोष में उसके अर्थ को प्रकट करती है जैसे वानर , तोता , बालिका, गुलाब , लोटा इत्यादि हमें ऐसा अर्थ ''अभिधा शब्द शक्ति'' बताती है इसे हम बचपन में चित्रों के माध्यम से सीखते हैं। अभिधा द्वारा प्राप्त अर्थ एक शब्द का भी और एक वाक्य का भी हो सकता है। ये भी हमने बचपन में भाषा ज्ञान के समय चित्र के माध्यम से सीखा है,....... जैसे कुत्ता रोटी खा रहा है,....... वह जा रहा है,……… बन्दर पेड़ पर बैठा है.
जब हम लक्षणा की बात करते हैं तो इस शब्द शक्ति का अर्थ पू रे वाक्य के बीच रखे गए एक शब्द के अर्थ को ग्रहण करने हेतु किया जाता है ''जैसे शिक्षक ने कक्षा में किसी छात्र को कहा ''तुम बैल हो '' यदि बैल का अर्थ अभिधा शब्द शक्ति से लें तो कक्षा में कोई पशु है ही नहीं तो फिर शिक्षक ने छात्र को बैल क्यों कहा ? यहाँ हम लक्षणा की सहायता से अर्थ करें तो लक्षण हैं बैल की तरह मंदमति होना छात्र का यह गुण बैल की तरह मंदमतित्व पर निर्भर है दैनिक व्यवहार में हम किसी मनुष्य को गाय, कुत्ता , कौव्वा , पत्थर, देवता बना देते हैं।
जब लक्षणा का प्रयोग सम्पूर्ण वाक्य या वाक्यांश का अर्थ ग्रहण करने लग जाए तो हम उसे ''मुहावरा'' कहते हैं जैसे लम्बी जीभ ,हाथ खुला होना , कान का कच्चा होना। ………… एक एक शब्द का वाक्य विस्तार होता है और कई मुहावरे बन जाते हैं केवल एक शब्द आँख को ले लीजिये इस एक शब्द के न जाने कितने प्रसिद्ध मुहावरे हिंदी में हैं। …
जब हम व्यंजना शब्द शक्ति की बात करते हैं तो यह जान लेना आवश्यक है कि इस शब्द शक्ति का चमत्कार न तो एक शब्द में निहित है और न ही एक वाक्य में यह अर्थ सन्दर्भ पर निर्भर करता है जैसे किसी ने एक वाक्य कहा ''दिन छिप गया ''अलग अलग सन्दर्भों में इस एक वाक्य के अलग अलग अर्थ ध्वनित होंगे साधु के लिए अलग, चोर के लिए अलग, इस प्रकार की उक्ति के चमत्कार को ''वक्रोक्ति '' कहा गया है.व्यंजना से निकले अधिकांश अर्थों को व्यंग्यार्थ कहते हैं, काव्यशास्त्रियों के मत से व्यंजना शब्द शक्ति पर निर्भर ध्वनि काव्य को उत्तम और श्रेष्ठ काव्य माना गया है।