खुद सजी और सजाई बहारों ने कायनात !
सुन !!! चाँद के डोले की बात सबसे न्यारी है !!
बिला नागा काफिला चला ता क़यामत !
चल साथ !!! कभी तेरी तो कभी मेरी बारी है !!
कभी अपनों कभी गैरों ने पहनाए लिबास !
देख !!! तन पर जां का लिबास सबसे भारी है !!
आज में रहो आज में जियो कहते जज़बात !
वो !!! रुके न रुका वक्त ने चलने की धारी है !!…'' तनु ''
No comments:
Post a Comment