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Sunday, December 14, 2014


खुद सजी और सजाई बहारों ने कायनात !
सुन !!! चाँद के डोले की बात सबसे न्यारी है !! 

बिला नागा काफिला चला ता क़यामत !
चल साथ !!! कभी तेरी तो कभी मेरी बारी है !!

 कभी अपनों  कभी गैरों ने पहनाए लिबास !
 देख !!! तन पर जां  का लिबास सबसे भारी है !! 

आज में रहो आज में जियो  कहते जज़बात !
वो !!! रुके न रुका  वक्त ने चलने की धारी है !!…'' तनु ''

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