पीपल छाँव
भागवत पुराण
पंडित बाँचे
तिर्यक वाट
चरमर मोजड़ी
नीरव शाम
ससुर आये
खांस के ठसक के
लिहाज बहू
ठसक न्यारी
ससुर आये
खांस के ठसक के
लिहाज बहू
ठसक न्यारी
ग्रामीण परिधान
जँचते जन
गाँव बाहर
बागरियों की बस्ती
कुँआ अलग
जाड़े में गाँव
धुँआता कुहासा सा
जगे अलाव
चश्मा लगाए
गुन गुन पढ़ती
दादीजी मेरी
दादा की छड़ी
लालटेन कहती
कोने में खड़ी
गीता का पाठ
दिनचर्या दादी की
चश्मा लगाए
ग्रामीण श्राप
अभिशप्त जीवन
बंधुआ जन
ग्राम मुखिया
पर्दानशीन नारी
महत्वहीन
शहर डेरा
गाँव बाहर
बागरियों की बस्ती
कुँआ अलग
जाड़े में गाँव
धुँआता कुहासा सा
जगे अलाव
चश्मा लगाए
गुन गुन पढ़ती
दादीजी मेरी
दादा की छड़ी
लालटेन कहती
कोने में खड़ी
गीता का पाठ
दिनचर्या दादी की
चश्मा लगाए
ग्रामीण श्राप
अभिशप्त जीवन
बंधुआ जन
ग्राम मुखिया
पर्दानशीन नारी
महत्वहीन
गाँव की बोली
संस्कारित जीवन
मीठी निबोली
आज का गाँव
गौविहीन गोकुल
नकली दूध / खरीदे दूध
संस्कारित जीवन
मीठी निबोली
आज का गाँव
गौविहीन गोकुल
नकली दूध / खरीदे दूध
गाँव को चल
दृश्य से दृश्यांतर शहर डेरा
No comments:
Post a Comment