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Monday, December 29, 2014

आइए नव वर्ष में गाँव की सैर हो जाये 
कुछ हायकु :-

तिर्यक वाट 
चरमर मोजड़ी 
नीरव शाम

ग्राम मुखिया
पर्दानशीन नारी
महत्वहीन

ग्रामीण श्राप
अभिशप्त जीवन
बंधुआ जन

पुरखे बन
शाखामृग प्रसन्न
ग्राम जीवन

गाँव को चल 
दृश्य से दृश्यांतर 
शहर डेरा

आज का गाँव
गौविहीन गोकुल
नकली दूध / खरीदे दूध

गूगल छाँव
देश रहा बदल
पहुँच गाँव

दादा की छड़ी 
लालटेन कहती 
कोने में खड़ी

गीता का पाठ
दिनचर्या दादी की
चश्मा लगाए

गाँव बाहर
बागरियों की बस्ती
कुँआ अलग

ठसक न्यारी
ग्रामीण परिधान 
जँचते जन

सूखते कुँए
प्रदूषण प्रभाव / ग्लोबल वार्मिंग से
जलती धरा

जाड़े में गाँव
धुँआता कुहासा सा
जगे अलाव


ससुर आये
खांस के ठसक के
लिहाज बहू

वर्षा निमित्त 
अंधविश्वासी ग्राम
ढूँढे टोटके … ''तनु ''

देहरी सजी 
वन्दनवार  बंधे 
लौटे प्रीतम 

वर्षा निमित्त
अंधविश्वासी जन
ढूँढे  टोटके

गूगल छाँव
 देश रहा बदल
  पहुँच गाँव

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