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Wednesday, December 24, 2014

ढूँढू परिंदा
खोया घरौंदा कहाँ 
उजड़ चला

काते चित्त से ,
बुनकर चिरैया !!!
सजा घोंसला ,… 

प्राण पखेरू !!!
अविनाशी सजन ,
अलौकिक है ! .... 

प्राण पखेरू !
काया पिंजरा रहा,.... 
चलता छोड़ !!

टूटे पंखों की !!!
 दास्तान पुरानी सी ,
उड़ान खोई,.... 

उजड़ा घर !
पंछी बिन घरौंदा ,.... 
सूना घोंसला !!! .... ''तनु ''

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