सिंदूर सजा
मिले धरा गगन
साँझ सबेरे
स्याह उफ़क़
फ़साने फ़िराक़ से
रोई नर्गिस
अम्बरारंभ
अलिखित लिखित
ईश चितेरा
क्षिति उन्वान
हर पल सुन्दर
मन उलझा
नया सितारा
दो हजार पंद्रह
नभ किनारा
नया सितारा
दो हजार पंद्रह
नभ किनारा
क्षितिज पार
अनहद बजता
सुने न कोई
मिले धरा गगन
साँझ सबेरे
स्याह उफ़क़
फ़साने फ़िराक़ से
रोई नर्गिस
अम्बरारंभ
अलिखित लिखित
ईश चितेरा
क्षिति उन्वान
हर पल सुन्दर
मन उलझा
नया सितारा
दो हजार पंद्रह
नभ किनारा
नया सितारा
दो हजार पंद्रह
नभ किनारा
क्षितिज पार
अनहद बजता
सुने न कोई
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