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Thursday, December 25, 2014

नव वर्ष की कविता !!!

कविता का शिल्प सुधारूँ ?
 समाज का कलंक धोऊँ ?
पलटू  कैलेंडर का पन्ना ,
या बन जाऊँ पीड़ित पन्ना !! 

क्या घटा ? इंसान घटे ?
क्या पटा  ? इंसान पटे ? 
पल्लव कहाँ रहे शाख। 
अब ठूँठ हैं जलते राख !!

पक्षियों सा उड़ता समय ?
कौन कहेगा कौन अभय ??
पक्षी कहाँ रहेंगे ? तब ??
भगवन पुकारो या कहो रब ,.... 

क्यों पहने ? नए लिबास ?
अंतर से उठती है बास !
आँख रो रो करके कहती ,
कहाँ चुनु  अस्थि मोती ??

दिल बूँद बूँद  कर रिसता ,
प्यार का घट क्यों है रीता ?
साँस गले ऐंठ है अटका ,
भटका भटका क्यों भटका ? 

वही धरती , है वही पानी ,
कहाँ   वो जोश - ए - जवानी ?
मुबारक हो कहना है भाता ,
दिल क्यों अंदर अंदर घबराता ??

मुश्किल खोई आँख की ज्योति ,
ढूँढ के लायी हूँ सीप का मोती ! 
होती होती मुराद पूरी होती !!
गाती, हँसती, हँसती,  रोती !!!

सबका जीवन शुभ सुखमय हो !!!
कहो  कहो नव वर्ष मंगलमय हो !!!… ''तनु ''















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