नव वर्ष की कविता !!!
कविता का शिल्प सुधारूँ ?
समाज का कलंक धोऊँ ?
पलटू कैलेंडर का पन्ना ,
या बन जाऊँ पीड़ित पन्ना !!
क्या घटा ? इंसान घटे ?
क्या पटा ? इंसान पटे ?
पल्लव कहाँ रहे शाख।
अब ठूँठ हैं जलते राख !!
पक्षियों सा उड़ता समय ?
कौन कहेगा कौन अभय ??
पक्षी कहाँ रहेंगे ? तब ??
भगवन पुकारो या कहो रब ,....
क्यों पहने ? नए लिबास ?
अंतर से उठती है बास !
आँख रो रो करके कहती ,
कहाँ चुनु अस्थि मोती ??
दिल बूँद बूँद कर रिसता ,
प्यार का घट क्यों है रीता ?
साँस गले ऐंठ है अटका ,
भटका भटका क्यों भटका ?
वही धरती , है वही पानी ,
कहाँ वो जोश - ए - जवानी ?
मुबारक हो कहना है भाता ,
दिल क्यों अंदर अंदर घबराता ??
मुश्किल खोई आँख की ज्योति ,
ढूँढ के लायी हूँ सीप का मोती !
होती होती मुराद पूरी होती !!
गाती, हँसती, हँसती, रोती !!!
सबका जीवन शुभ सुखमय हो !!!
कहो कहो नव वर्ष मंगलमय हो !!!… ''तनु ''
कविता का शिल्प सुधारूँ ?
समाज का कलंक धोऊँ ?
पलटू कैलेंडर का पन्ना ,
या बन जाऊँ पीड़ित पन्ना !!
क्या घटा ? इंसान घटे ?
क्या पटा ? इंसान पटे ?
पल्लव कहाँ रहे शाख।
अब ठूँठ हैं जलते राख !!
पक्षियों सा उड़ता समय ?
कौन कहेगा कौन अभय ??
पक्षी कहाँ रहेंगे ? तब ??
भगवन पुकारो या कहो रब ,....
क्यों पहने ? नए लिबास ?
अंतर से उठती है बास !
आँख रो रो करके कहती ,
कहाँ चुनु अस्थि मोती ??
दिल बूँद बूँद कर रिसता ,
प्यार का घट क्यों है रीता ?
साँस गले ऐंठ है अटका ,
भटका भटका क्यों भटका ?
वही धरती , है वही पानी ,
कहाँ वो जोश - ए - जवानी ?
मुबारक हो कहना है भाता ,
दिल क्यों अंदर अंदर घबराता ??
मुश्किल खोई आँख की ज्योति ,
ढूँढ के लायी हूँ सीप का मोती !
होती होती मुराद पूरी होती !!
गाती, हँसती, हँसती, रोती !!!
सबका जीवन शुभ सुखमय हो !!!
कहो कहो नव वर्ष मंगलमय हो !!!… ''तनु ''
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