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Friday, December 12, 2014

आँगन !!!
क्या है ??
स्वर है या
व्यंजन है !!!
किसी
सुकोमल सी
प्यारी सी
ललना की
आँखों का
अंजन है !!!
मन का
जन का
घर का
स्वजन है !!!
प्रीत की बदरी
छलकती जब
बन जाता
साजन है!!!
सितारे ले
जब आती रात
सुरभित हो
मलय का
चन्दन है!!!
किल किल
किलकारी
निश्छल
हँसी सी
हँसाता
उपवन है !!!
यादों में
सजती डोली
बातों में
उठती अर्थी
कोई चला
जो गया
स्वजन है !!!
इरादों में
सपने सजाता
गीत गाता
कुम्हलाता
जलता
क्रंदन है !!!
बूझो ना
आँगन क्या है ???……… ''तनु''

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