बटोही
कोयल कुहुकी
कहती है यहीं बजी
बाँसुरी श्याम की
कुञ्ज में फिरते शाम
जो होती हमारी फ़िकर
आ जाते न
कहीं नज़र ??
कहाँ हो निर्मोही , ,,
सूर के नयन
रसखान की खान
रैदास के दास
भूले हो क्यों मोहे
ओ मीरा के कन्हाई
सखी बनाई जमुना को
पूछा कदम्ब डाल को
पूछा गोपिन ग्वाल को
पूरी न होगी ये ऊनता
कब तक भटकूँगा ??
मैं बन बटोही, …………तनुजा ''तनु''
कोयल कुहुकी
कहती है यहीं बजी
बाँसुरी श्याम की
कुञ्ज में फिरते शाम
जो होती हमारी फ़िकर
आ जाते न
कहीं नज़र ??
कहाँ हो निर्मोही , ,,
सूर के नयन
रसखान की खान
रैदास के दास
भूले हो क्यों मोहे
ओ मीरा के कन्हाई
सखी बनाई जमुना को
पूछा कदम्ब डाल को
पूछा गोपिन ग्वाल को
पूरी न होगी ये ऊनता
कब तक भटकूँगा ??
मैं बन बटोही, …………तनुजा ''तनु''