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Saturday, August 1, 2015

गुरु 

दीप बन अध्यापक खड़े , द्युति लाऊँ किस तरह !
बिखरे माला के मनके,   माल बनाऊँ किस तरह !!
समक्ष संदीपनी आप थे  बन सका न  घनश्याम !
चरित्र  में अपने अब वो निखार लाऊँ किस तरह !!...… तनुजा ''तनु '' 


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