निबल
तल अतल तलातल नितल रहा ;
तेरे सिवा कोई न निछल रहा !
वाग्बाणों से गिरा कर वाग्मी ;
गिर नयन, आगे कहाँ निकल रहा !
विष भरे, करे अमि की चाहना ;
हाय!!! नेक इरादों में निफल रहा !
धूल धुआँ हो गयी है जिंदगी ;
आदमी को आदमी निगल रहा !
डूबने को कितनी बाढ़ेँ आ गयी ;
मरा आँख का पानी निजल रहा !
है कहाँ सोने सी वो बंदगी ;
चाँदी सोना कहाँ ''निकल'' रहा !
कभी तुझसे बड़ा न हो पाएगा ;
निबल है औ सदा ही निबल रहा !!,,,तनुजा ''तनु ''
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