Labels

Monday, August 24, 2015


मेरी इच्छा  को लगे पर 

उड़ कर जाए प्रभु के घर 

 तिलक भाई के मस्तक पर 

लगे न तुम्हे किसी की नज़र 

हर वर्ष थालियाँ सजे जरूर 

सुख के बाजे बजे भरपूर 


तुम  जो चाहो हो पूरा 


ईश्वर करें कभी न बुरा 


मन से मेरी यही भावना 


पूरी हो जाए तेरी साधना 


चन्द्रमा की चाह लिए आगे बढ़ो 


सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते चढ़ो 


तुम लो अंगड़ाई उगे सूरज 


यही करूँ मैं आराधना 


देख तू मुझसे रूठ न जाना 


चाहे माग कर कोई नज़राना 


तू हँसते मुस्काते रहना 


करती माँ नजर उतराई 


हँसते रहना मेरे भाई 


देख सामने जीजी आई 






No comments:

Post a Comment