Labels

Tuesday, August 18, 2015

 विरह और सावन 

सावन उत्सव माह है, सूखा दिया बुहार !
बदली घुमड़ी उमड़ है, मनवा करे गुहार !!
मनवा करे गुहार !!  सजनवा दूर बसे हैं, ,,
बिंदिया की पुकार !!  नैन हँसे ना  हँसे है , ,,
करूँ आप ही बात,  तुम बिन घाव है सावन !
अपने करते घात,      उत्सव माह है सावन !!

No comments:

Post a Comment