विरह और सावन
सावन उत्सव माह है, सूखा दिया बुहार !
बदली घुमड़ी उमड़ है, मनवा करे गुहार !!
मनवा करे गुहार !! सजनवा दूर बसे हैं, ,,
बिंदिया की पुकार !! नैन हँसे ना हँसे है , ,,
करूँ आप ही बात, तुम बिन घाव है सावन !
अपने करते घात, उत्सव माह है सावन !!
सावन उत्सव माह है, सूखा दिया बुहार !
बदली घुमड़ी उमड़ है, मनवा करे गुहार !!
मनवा करे गुहार !! सजनवा दूर बसे हैं, ,,
बिंदिया की पुकार !! नैन हँसे ना हँसे है , ,,
करूँ आप ही बात, तुम बिन घाव है सावन !
अपने करते घात, उत्सव माह है सावन !!
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