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Sunday, August 2, 2015

 ''श्रृंगार ''


सोलह रातें रंगीली रजनी रंग भरती रही ,
करके श्रृंगार नदिया जलधि सी सँवरती रही ! 
पूनम का  चाँद निकल आया मेरु के पीछे से  ,
''तारों की चूनर'' ''चाँद टीका'' रात निखरती रही !! ,,,तनुजा ''तनु ''

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